
जो जल रहा उसे और जलाया करिये,
कुछ देर ही सही पर मुस्कुराया करिये।
अजीब शौक तुझे प्याली सजाने का,
किसी अपने को शाम बुलाया करिये।
खुल जाएगी अमीरज़ादों की कलई,
उनके चेहरे का नकाब हटाया करिये।
कमियाँ खोजनी नही पड़ेगी आपको,
रिश्तेदारों के घर हर रोज जाया करिये।
अंजाम दुआओं में निकलकर आएगा,
हर किरदार मनभर कर निभाया करिये।
©खामोशियाँ-2019 | मिश्रा राहुल
(17-मार्च-2019)(डायरी के पन्नो से)
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