
किसी बन्द लिफाफे का अल्फाज़ मत होना,
छुपाकर रखना सन्दूक में दराज़ मत होना।
ढूंढ लेना किसी शाम यूँ अकेले फलक पर,
चांद कभी न निकले तो नाराज़ मत होना।
रोज खोजना अपना अक्स अपने ही अंदर,
कोई बदले इतना पुराना रिवाज़ मत होना।
अपनी शाम से रोज थोड़ा वक़्त निकालना,
जो खुद मे डूबा रहे ऐसा समाज मत होना।
अल्फाज़ (12- जून -2020)
©खामोशियाँ-2020 | मिश्रा राहुल
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