जान ली हो तो जान अब आओ भी,
लेके जान तुम ए जान ना जाओ भी।
तमन्ना है तेरी बिखरे जुल्फे सुलझाऊँ,
हौले से उन्हें कान के पार लगाओ भी।
लुका छिपी खेलता है देख ये चाँद मेरा,
आज अमावस में भी टिप लगाओ भी।
ख्वाइश है सर रख लेटा रहूँ तेरी गोद में,
हाथ बढाकर ज़रा मेरे बाल सहलाओ भी।
– मिश्रा राहुल | ©खामोशियाँ
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " एक अधूरी ब्लॉग-बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !