टूटे-फूटे जर्जर
कुल्फीयों के साँचे,
सर्दियों की
रज़ाई से निकाल आए….!!!
किसी को
नज़ला हुआ…
कोई खांसी से परेशान…!!!
सभी अनसन पर है….
बुजुर्गो को पेंशन दो….
हमारी आमदनी निर्गत करो….!!!
बड़ी टाल-मटोल बाद
वैद्यजी बुलाये गए
नब्ज़ टटोल
कुछ तो फुसफुसा रहे….!!!
कह रहे होंगे….
बदलाव का मौसम,
बिना चोट के कहाँ जाता….!!!
©खामोशियाँ-२०१४
कल 24/03/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
बढ़िया रचना राहुल भाई , धन्यवाद !
नया प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ – ( ~ प्राणायाम ही कल्पवृक्ष ~ ) – { Inspiring stories part -3 }
बदलाव का मौसम … बहुत कुछ कह रही है ये रचना …
बहुत सुंदर …
बहुत सुन्दर और कोमल अहसास…बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना…