बरसो बाद भी पास बुलाना भूल गए…..
आज के लोग हमे पहचानना भूल गए…..!!!
बड़ी मोहलत दे दी हमने ज़िंदगी को…..
प्यासे समुंदर आँखें मिलाना भूल गए…..!!!
जुगनू ने यारी ऐसी भी क्या निभाई….
परवाने सम्मो से मिलावाना भूल गए……!!!
नज़्म कितनी अभी भी लटकी सीने मे…..
कूँची पड़ी अकेली कैनवास लाना भूल गए…..!!!
©खामोशियाँ-२०१३