नज़्म चित्रकारी Vs कलमकारी। January 6, 2016 एक जैसी लगती तेरी चित्रकारी और मेरी कलमकारी। लिखता हूं तो एहसास कैनवास हो जाता। अल्फ़ाज़ मेरी कूंची बन जाती। क्यूँ ना कभी ऐसा हो, तेरी स्केचिंग के कैनवास पर, मैं शब्दों के गौहर सजा दूं। और तू मेरी ग़ज़ल पर अपने रंगो का टीका कर दे। – मिश्रा राहुल
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-01-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा – 2214 में दिया जाएगा
धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति ….