हाँ मैं
गुस्सैल हूँ…!!
रोज
सपने अपने
खोजता हूँ…!!
रोज गैरों
में अपना
खोजता हूँ…!!
अपने छोड़
देते अक्सर
दामन मेरा…
मैं फिर
भी उन्ही
को खोजता हूँ…!!
किस हाल
में होंगे वो…
इसी बात
को पकड़
सोचता हूँ…!!
चिल्लाकर
झल्लाकर
फिर वापस
वहीँ को
लौटता हूँ…!!
हाँ मैं
गुस्सैल हूँ…!!
©खामोशियाँ-२०१४ // मिश्रा राहुल // १०-दिसम्बर-२०१४