मूर्तियों में भगवान खोजते है,
गलियों में इंसान खोजते है।
इंतज़ार करते है अकेले घर,
अपनों में मेहमान खोजते है।
पूछते कहाँ खैरियत अब तो,
रास्तों में सलाम खोजते है।
तोड़ते है दिल उम्मीदों का,
सपनों में जहान खोजते है।
टूट के बिखरती ज़िंदगी में,
किस्तों में अरमान खोजते है।
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो में)(०२-अक्तूबर-२०१४)
कल 05/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
सुन्दर
बहुत बढ़िया
Bahut sunder ….. !!