लोग अकसर पूछते कि टैग “खामोशियाँ” ही क्यूँ…
मैं कहता…..
कल्पना का साथ आखिर तक देती है खामोशियाँ….
बिखरे शब्दों को पकड़ के लाती है खामोशियाँ…..!!!
ये मायूस चेहरे कह जाते लाखों लफ्ज चीखकर…..
उन चीखों को धागों में पिरोती है खामोशियाँ….!!!
बिखरे शब्दों को पकड़ के लाती है खामोशियाँ…..!!!
ये मायूस चेहरे कह जाते लाखों लफ्ज चीखकर…..
उन चीखों को धागों में पिरोती है खामोशियाँ….!!!
©खामोशियाँ-२०१३