चलते गए मीलो हम पुराने हुए….
गिनते गए पत्थर आज जमाने हुए….!!!
रात भर फूँको से जलाए रखा अलाव…
कितनी बयार आई लोग वीराने हुए…..!!!
सदाये गूँजती रही जी भर अकेले मे….
कल के जुगनू देख आज शयाने हुए…..!!!
ज़िंदगी भी बस कैसी रिफ़्यूजी ठहरी….
भागते-भागते ही गहने पुराने हुए….!!!
©खामोशियाँ-२०१३
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १२ /११/१३ को चर्चामंच पर राजेशकुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है –yahaan bhi aaiye— http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/
बेहतरीन गज़ल.
बधाई स्वीकार करे.
बढ़िया ग़ज़ल !
नई पोस्ट काम अधुरा है
जिंदगी सच में रिफ्यूजी ही है … पुरानी हो जाती है पता नहीं चलता … अच्छे शेर हैं …
आप सभी का शुक्रिया हमारे पोस्ट पर समय देने हेतु….!!!
bahut khub shukriya aapka
इस पुरस्कार खातिर आभार….!!!
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं मैम
राहुल …..कम शब्दों में गहरे भाव
कहाँ से लाते हो ये ख्याल