छोटे-छोटे
रंगीन एसएमएस,
फटे पुराने
चॉकलेट के रैपर,
हर रोज
गोंजे हुए कलेंडर।
तीन शब्द
पर चार रिप्लाई
से पटे पड़े इनबॉक्स।
सिरहाने
से लिपटी
फ्रेम मे दबी तस्वीर।
अकेले ही
उससे गपशप
करती मासूम निगाहें।
वक़्त की
छन्नी में आकर
सब क्यूँ थम सा जाता हैं।
©कॉपीराइट-खामोशियाँ-२०१४-मिश्रा राहुल
कल 23/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
वाह ..बहुत सुंदर