श्रुति नें जैसे ही बैग में अपनी साइंस की नोटबुक निकलने को हाथ डाला। उसके हाथों में सफ़ेद बैकग्राउंड पर उभरा गुलाब से लिपटा एक शानदार कार्ड आया। ऊपर की जिल्द ही इतनी खूबसूरत थी की मानो काफी कुछ खुद ही बयाँ कर रही हो।
श्रुति नें कार्ड खोल दिया। उलटे हाथों से लिखे गए उस कार्ड में हैंडराइटिंग जानबूझकर बिगाड़ी गयी थी।
श्रुति से रहा न गया, उसकी निगाहें क्लासरूम के आठों कोनो को एक दफे निहार गयी। पूरी क्लास कहीं ना कहीं व्यस्त थी, वहीँ आठों कोनो में से दो आँखें चार हो गयी।
साथ ही एक मुस्कान नें कार्ड पर अपनी दस्तखत कर, प्यार की बयार पर मुहर लगा दी।
– मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवम् लेखक)
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