लूडो
खेलती है
ज़िन्दगी हमसे अक्सर….!!
पासे
फेंकते
किस्मती छः
लाने खातिर बेताब होते…!!
किस्मत
खुलती छः
आते भी तो तीन बार…!!
अपने लोगों
को काट उनके
सफ़र दुबारा शुरू करते…!!
वही रास्ते
वहीँ गलियाँ
दुबारा मिलती जाती…!!
कहाँ से
चोट खाकर
वापस गए…
कहाँ से
जीत की
बुनियाद रखे….!!!
हरे…लाल…
पीले…नीले…
सारे भाव
चलते साथ-साथ…!!
कभी
गुस्सैल लाल
जीत जाता…
कभी
शर्मीला नीला
ख़ुशी मनाता…!!
पीला
सीधा ठहरा
सबको भा जाता…!!
हरा
नवाब ठहरा
नवाबी चाल चलता…!!
दिन
होता ना
हर रोज़ किसी का
कभी
कोई रोता
तो कोई मनाता…!!
लूडो
खेलती रहती
ये ज़िन्दगी अक्सर…!!!
©ख़ामोशियाँ-२०१४ // मिश्रा राहुल // ०५-दिसम्बर-२०१४
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