कुछ पीले
पत्र आज भी अधूरे रह गए….!!!
लिफाफे ओढ़े
दुबके चुपके बैठे इतमीनान से….!!!
जवाब शायद लापता
डाकिया मिलता ही नहीं आजकल….!!!
कि पूछ लूँ हाल-ए-खबर….
टिकिट भी
पुराने पड़े बड़ी आस से देखते
आँखों पर काजल लगाए….!!!
सोचा करते
कभी उनकी भी तो बारी आ जाए….!!!
ट्रिन-ट्रिन
चलो आ गयी तेरी सौत की घंटी….!!!
©खामोशियाँ
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