कोई पुरानी
नज़्म उठा लूँ…
या नई
गज़ल लिख दूँ…!!
फिर
काले गुब्बारे
पे नक्काशी करूँ,
या नए
सैन्यारे खरीद लाऊं…!!
फिर
उम्मीदों की
एक धूप खोजूँ…
या नए
नज़ारे ढूंढ ले आऊँ…!!
फिर
पॉकेट से
कोई जुगनू निकालूँ,
या नए
सितारे खोज ले आऊँ…!!
बता ज़िंदगी
कोई पुरानी
नज़्म उठा लूँ…
या नई
गज़ल लिख दूँ…!!
©खामोशियाँ-२०१५ // मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो से) (८-जनवरी-२०१५)
Recent Comments