हर राखी,
कुछ कहती है।
रेशम के महीन
धागे मे लिपटी।
उम्मीद/विश्वास
की गांठ लगाए।
एक बगल एक
जलती नहीं दूसरे से,
समझदार है।
एहमियत समझती,
भावनाओं/संवेदनाओं का।
मन/मधुर/मिष्ठान
की मिस्री घोलती
बहन का प्यार।
आज/कल/हरबार।
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– मिश्रा राहुल
रक्षाबंधन – डायरी के पन्नो से
©खामोशियाँ-२०१४//०९-अगस्त-२०१४
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें।
रक्षा बंधन की शुभकामनायें..