
समझ है पर समझे नहीं थे तुम कभी,
समझना होगा तो समझ लेंगे तुझे भी।
ख्वाहिशें लड़ रही सपनो की तरफ से,
ज़रा सांस ले लेंगे तो जीत लेंगे उसे भी।
मुख़्तसर ही सही पर साथ चल ज़रा,
फलक से दो चाँद लाकर देंगे तुझे भी।
कोई खिताब हासिल करना चाहत नहीं,
मुख़ातिब हो मुझसे खोज लेंगे उसे भी।
– मिश्रा राहुल | डायरी के पन्नो से
©खामोशियाँ-2018 | 31 – मई – 2018