पतंग
लेके लाया हूँ
उम्मीदों के आज…!!
अब तो
आजा तू
फिरसे मंझे बांधे
फिरसे कोई पतंग काटे….!!!
लाल वाली
अकेली उड़ रही
कटने को बेताब तुझसे…!!
सफ़ेद
घमंडी ठहरी
आ तोड़े गुरुर उसके…!!
नीला
फलक इंतज़ार
करता है आजकल…!!
हवाएं
सूनी-सूनी पड़ी
सब खोज रहे बस….!!
वही
छींट वाली
गुलाबी पतंग
जो लापता है बरसों से…!!
पतंग
लेके लाया हूँ
उम्मीदों के आज…!!
अब तो
आजा तू
फिरसे मंझे बांधे
फिरसे कोई पतंग काटे….!!!
©खामोशियाँ-मिश्रा राहुल-(२७-नवम्बर-२०१४)