वजूद भी घट रहा धीरे-धीरे,
यादों से मिट रहा धीरे-धीरे..!!
रास्ता धुधला पड़ा बात लिए,
ख्वाब सिमट रहा धीरे-धीरे…!!
एक धूल लतपथ सांझ खड़ी,
कारवां घिसट रहा धीरे-धीरे…!!
मंजिल मिलेगी भी खबर नहीं,
डर लिपट रहा हैं धीरे-धीरे…!!
चेहरा बिखरा कई हिस्सों में,
वक़्त डपट रहा है धीरे-धीरे…!!
©खामोशियाँ-२०१४ // मिश्रा राहुल // २५-दिसम्बर-२०१४