तारीखें
तह करती
जाती है
लम्हें दर लम्हें।
उनके
टाइटल्स*
बकायदा टैग
होते है इमोशनल
बुकमार्क* के साथ।
जरा सी
गलतफहमियों
नें शफल*
कर डाले है
पूरे रंगीन बुकमार्क।
कितने
लम्हें लापता हो
गए उसी बीच,
पता मिलता ही
नहीं आज भी
उनका।
कभी बैठु
तो खंगालु
सारी फाइलों
के पीले पन्ने।
और
बना डालूं
यादों का
डिजिटल डैशबोर्ड*।
*Titles
*Bookmark
*Shuffle
*Dashboard
– राहुल ०१-जून-२०१७
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