कभी कभी…
मन होता है…
यादों की स्क्रीनप्ले…
निकाल कैद कर लूँ….!!
सारे के सारे
एहसासों को डाइलॉग
देकर रेकॉर्ड करा लूँ…!!
एक एक क्लिप…
एक एक सांस जैसी…
ताज़ी है अभी भी जेहन में…!!
कभी कार्बन…
रखों तो जरूर…
छप जाएंगे सारे अल्फ़ाज़…!!
ढेरों गपशप के
इर्द-गिर्द चलती….
खुशनुमार सिनेमैटोग्राफी….!!
चेहरों पर
लिपटे इमोशन..
ढेरों कमेरा एंगल…
खुद-ब-खुद ही
तैयार करते जाते…!!
सुनहरे
लम्हों को बार बार
देखने का जी करता…!!
आखिर
कोई करता…
क्यूँ नहीं इन
खूबसूरत लम्हों की एडिटिंग…!!
©खामोशियाँ-2014//मिश्रा राहुल
(डायरी के पन्नो से)(25-अक्तूबर-2014)
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